भाईचारे की मिसाल / पड़ोसी की छत पर छिपा था पीड़ित परिवार, पुलिस ने बचाया

जौहरीपुर के सामने भागीरथी विहार में रहने वाले एक मुस्लिम परिवार ने हिंदू के घर में शरण लेकर अपनी जान बचाई। घर के बाहर हो रहे दंगे के बीच इस परिवार ने छत के सहारे पड़ोसी के घर जाकर छिप गया। किसी ने खुद को टॉयलेट में बंद कर लिया तो कोई छत की सीढ़ियों में छिपा रहा। तड़के पुलिस को इस परिवार के बारे में खबर मिली, जिसके बाद उन्हें वहां से निकाल सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। फिलहाल, यह परिवार एक पड़ोसी रिश्तेदार के यहां विजय पार्क में ठहरा हुआ है। इस परिवार के लोगों का कहना है कि अगर वे नहीं जाते तो उन्हें जिंदा नहीं छोड़ा जाता। हिंसा के दौरान हुई आपबीती को लेकर इस परिवार ने अपनी पीड़ा बयान की।


एक परिवार ने दूसरे के घर में शरण लेकर बचाई अपनी जान


भागीरथी विहार ई-ब्लॉक में शहीद (28) परिवार के साथ रहता है। उसके परिवार में मां, नेत्रहीन बहन, भाई, पत्नी और एक पांच साल का बेटा है। शहिद के पिता की पहले ही मौत हो चुकी है। यहां दो मंजिला मकान में बीस पच्चीस साल से रहने वाले शाहिद ने कहा सोमवार शाम करीब पांच बजे वह अपने घर लौटा था। कुछ ही देर बाद बड़ी संख्या में लाेग घर के बाहर जमा हो गए। माहौल तनावपूर्ण हो गया। दंगे होने लगे। यह देख शहिद ने घर से बाहर निकलना ठीक नहीं समझा और वह पड़ोसी के घर छत के रास्ते जाकर छिप गया। शहिद ने बताया कि उसका पड़ोसी हिंदू है जो कुछ दिन से दिल्ली से बाहर गांव गया हुआ है। घर पर ताला लगा हुआ है। शहिद ने कहा कि उसने पुलिस को कॉल भी किया लेकिन फोन नहीं लग सका। तभी से उनकी फैमिली डर के साए में जी रही थी। ऐसा लग रहा था बाहर निकलने पर उपद्रवी लोग उन्हें मार न दें।


क्योंकि उनके मोहल्ले में कुछेक घर को छोड़ सभी हिन्दुओं के हैं। शहिद ने कहा कि अनवर नाम के एक पड़ोसी की भी यही स्थिति थी। उसने किसी तरह अपने वकील को घर में कैद होने की जानकारी दी, जिसके बाद मामला पुलिस के पास पहुंचा। आज तड़के पुलिस ने वहां पहुंच अनवर और उनके परिवार को रेस्क्यू करवाया। अनवर का घर वहीं नजदीक है। शहिद ने कहा तभी से उनकी फैमिली पड़ोसी की छत पर रह रही थी। क्योंकि वह हिन्दू का घर था। इसलिए उन्हें वही जगह तब ज्यादा सुरक्षित लगी। 


खजूरी इलाके में हिंदू परिवार की बचाई जान


खजूरी इलाके में किराए पर रहने वाले एक हिन्दू परिवार की जान भी कुछ इस तरह से बचाई गई। 35 साल का युवक परिवार के साथ रहता है। घर लौटते समय दंगाइयों ने उसे घेर लिया और पीटा। किसी तरह वहां से निकल घर पहुंच उसने अपनी जान बचाई। आसपास मुस्लिम बेल्ट है, जिस कारण परिवार ने भी खुद को घर में कैद कर लिया। चंपारण के रहने वाले इस युवक ने अपने जिले का दिल्ली नेटवर्क तलाश किया। जहां से उसे दिल्ली में रहने वाले प्रवेश कुमार मिश्रा का नंबर मिला था। 


10-12 लोगों को बचाकर पुलिस ले गई थाने


गोकुलपुरी के गंगा नगर मोहल्ले में पिछले 35 साल से हिंदुओं के 80 से  अधिक परिवार रहते हैं। लेकिन हिंसा भड़कने के बाद सोमवार की रात कुछ असामाजिक तत्वों ने इनके घरों को घेरकर हमला कर दिया। पुलिस ने समय पर पहुंचकर इन लोगों की जान बची। बाद में पुलिस इस मोहल्ले से 10-12 लोगों को सुरक्षित निकालकर दयालपुर थाने ले गई। इन्हींं परिवार में से एक शख्स का कहना है कि हम लोग सभी गोकुलपुरी के गंगा नगर में पिछले 35 सालों से रह रहे हैं। कभी कोई दिक्कत नही हुई। लेकिन सोमवार और मंगलवार को जैसे ही मौजपुर और बाबरपुर इलाकों में दंगा भड़के, अफवाहों का बाजार गर्म हो गया। लोगों ने हमारे घरों पर हमला कर दिया।


किसी तरह हम लोग अपने अपने घरों में कैद हो गए। पुलिस को फोन कर सहायता मांगी। इन लोगों का कहना है कि अगर पुलिस समय पर नहीं पहुंचती तो हम लोग आज जिंदा नहीं बचते। पुलिस अधिकारी ने बताया कि इन परिवार में से अधिकतर सोमवार शाम को ही अपने अपने करीबी के घर चले गए, जो रहना चाहते थे उनके लिए खाने पीने की व्यवस्था की गई। अब धीरे धीरे स्थिति ठीक हो रही है। पुलिस हर जगह है। इसलिए जो जाना चाहते हैं, धीरे-धीरे कर अपने रिश्तेदारों के घर जा रहे हैं।



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